Friday, 20 May 2016

इंसान की समझ

इंसान की समझ बस इतनी सी  होती है ,

"1005  रूपये के चीज़ में  या तो ग्राहक 1010 दे देता है या दुकानदार 1000 लेकर संतोष कर लेता है ,
दूसरी ओर ये दोनों  सब्जी वाले से 3   रूपये की धनिया ले कर 2   रूपये उस  गरीब के पास नहीं छोड़ सकते।"


"आरक्षण जात पात के नाम पे होता है , पर अफ़सोस है  जनता आरक्षण का विरोध करती है जात पात का नहीं "

नोट: आरक्षण कभी ख़राब नहीं हो सकता यदि उसका आधार सही हो

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