Monday 2 July 2018

रहस्यमय वक्ता बने

रहस्यमय वक्ता बने  

वक़्त को एक स्केल की तरह समझे जिसमे बराबर बराबर खांचे बने हैं,शब्द और  रहस्य वक़्त के खाचों में एक के बाद एक रखना सीखे।   

याद रखिये यह गुण लाने में समय लग सकता है ,लेकिन यह आपके व्यक्तितत्व विकास के सबसे  महत्त्वपूर्ण क़दमों में से एक है। 

आइये इन्हे कुछ उदाहरणों से समझते हैं। एक सच्ची कहानी से।  

कहानी की शुरआत करने के पहले ,में अभिषेक यादव आप सभी का  स्वागत करता हूँ। 

1951 न्यूयोर्क , दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक नगरी : --- हाँ ये कहानी वही की है 

एक बार एक मोची ने अपने लड़के से कहा बेटा मैंने तुझे स्कूल  तक तो पढ़ा दिया है पर मेरे पास इतना पैसा तो नहीं है जो में तुझे कॉलेज भेज सकूं अच्छा है तू ये धंधा सीख ले , बेटे ने कहा  भले  ही में अपने लिए पैसे कमा पाऊं या नहीं  पर आपने मुझे स्कूल भेज कर इतनी  शिक्षा तो दे ही दी है की में  आपको एक धनी पिता बना सकूं। 

मोची को लगा मेरा बीटा ओवर कॉन्फिडेंस में है और इसको दुनियादारी की कोई समझ नहीं है। 

इसके विपरीत लड़के के मन में तो जैसे कुछ और ही चल रहा था , उसने बड़ा अनोखा काम किया उसने दो लिस्ट बनाई पहली उन सारे जूतों के शोरूम्स की जो न्यूयोर्क के सबसे बड़े बड़े शोरूम्स  होने के साथ साथ न्यूयोर्क  शहर की शान भी थे , दूसरी लिस्ट उन रहीस गोल्फ प्लेयर्स की थी जो जूतों के बहुत बड़े शौक़ीन थे , और वे अक्सर इन दुकानों में आया करते थे उनमे से भी उसने उन लोगों को चुना जिनका नाम अखबारों में आये दिन आया करता था 

लिस्ट के हिसाब से 1951  में  न्यूयोर्क में  जूतों के  बड़े बड़े 21  शोरूम थे  , फिर क्या था एक दिन वो चल पड़ा मार्केट  की तरफ , पता नहीं उसने ऐसा क्यू  किया की वो पहले  नहीं बल्कि ,दूसरे नंबर के सबसे बड़े शोरूम के मालिक के पास गया और बोला मिस्टर रोबर्ट यहाँ आते हैं क्या ? दुकानदार ने नाटक किया जैसे वो रोबर्ट को जानता ही नहीं,,क्योकि मिस्टर रोबर्ट बहुत ज्यादा बड़े आदमी थे और वे सबसे बड़े शोरूम में ही आया जाया करते थे ,यदि दुकानदार ये बोलता की वो बगल वाले सबसे बड़े शोरूम में जाते हैं तो इससे उसके दुकान छोटी साबित होती  ,जैसे ही दुकानदार ने बोला की मिस्टर रोबर्ट को वो नहीं जानता , लड़के का चेहरा जैसे गुस्से से लाल हो गया उसने  बड़े कड़क शब्दों में अपनी नाराज़गी प्रदर्शित की और अपने आप से बात करते हुए बोला , अब कुछ भी हो जाए रोबर्ट खुद भी आ जाए तो में उससे मिलने नहीं आऊंगा ,उसे चलकर मेरे पिता के पास आना पड़ेगा , जैसे ही ये शब्द दुकान के मालिक के कानो में पड़े  , वो  इतना प्रभावित हुआ की उसने उस लड़के को अपने केबिन में आने का आग्रह किया , 
लड़के ने कहा पहली बात की में गुस्से में हूँ और आज  मेरे पास समय नहीं है , कल दोपहर १२ बजे देखूंगा , फिर क्या था  दुकान का मालिक दुसरे दिन बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करने लगा ,१२ बज चुके थे उसका मन किसी काम में नहीं लग रहा था ,१२ :१० हुए लड़का अभी तक नहीं आया था फिर १२:३० बज लड़के का अभी तक कोई अत पता नहीं था , दूकानदार अपनी उम्मीद खोने लगा ,तभी १२:४५ पर वो लड़का दूर से आता हुआ दिखाई दिया , जैसे हे वो पंहुचा , दुकान के मालिक ने बिना समय गवाए लड़के से पुछा आप कल कुछ बोल रहे थे रोबर्ट के बारे में ,क्षमा चाहता हूँ में रोबर्ट को जानता हूँ वो बहुत बड़े आदमी हैं पर मेरी दुकान पर नहीं आते , लड़के ने गंभीर मुद्रा में बोला सिर्फ ५ मिनट हैं आपके पास जल्दी बताइये क्या चाहते  हैं आप मेरे से ?

दुकान का मालिक सोच में पड़ गया उसे कुछ बोला नहीं जा रहा था , लड़के ने घडी देखी  अब  ३  मिनिट बीत गए थे  , लड़के ने अब जो बोला उससे कोई भी सहम जाता , उसने जवाब दिया आप न्यूयोर्क शू मार्केट  के बेताज बादशाह या यु कहे नंबर १ बनाना चाह्ते हैं क्या ये सही है , दुकान का मालिक हक्का बक्का रह गया , लड़के ने कहा अब १ मिनट बचा है आपके पास ,दुकान का मालिक पसीना पसीना हो गया और हकलाकर बोला हाँ।

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ये था कहानी का पहला पार्ट , इसके बाद क्या हुआ , क्या किया लड़के ने , रोबर्ट का क्या हुआ , दूसरे नंबर का  दूकानदार नंबर १ बन पाया ? जवाब मिलेगा इसके दुसरे पार्ट में कहानी बहुत ही  रोमांचक  है , अगला पार्ट देखने के लिए चैनल को सब्सक्राइब करे , 
तब तक के लिए में अभिषेक यादव आपकी इज़ाज़त चाहता हूँ धन्यवाद 
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लड़के ने बताया आप के लिए इतना जानना काफी होगा मेरे पिताजी एक बहुत बड़े रचनाकार हैं उनमे ऐसे गुण हैं जिससे वे दुनिया की  किसी भी चीज़ की सबसे बिरली आकृति बना सकते हैं हाल ही  में रोबर्ट का मैनेजर मुझसे मिला था और जूतों के ऐसी डिज़ाइन चाहता था जो सबसे प्रभावशाली दिखे , मेरे पिता एकांतवासी हैं और किसी से नहीं मिलते मैंने अपने पिता से मिलवाने के लिए १ महीने पहले उनको आज का समय दिया था पर वो नहीं आये ,न ही उसने कोई संदेसा भिजवाया , 

लड़के ने कहा वो डिज़ाइन तैयार है तुम मुझे १०० आदमी दो जो इस पर काम कर सके  ,में अपने पिता को आग्रह करके  आपके कारखाने में ले आऊंगा , बस शर्त ये है में एक सफल व्यापारी हूँ और मेरे पिता रचनाकार , जब  तक जूते तैयार नहीं हो जाते तब तक पिताजी  सिर्फ कारीगरों से मिलेंगे बाद में आप उनसे  मिल सकते हैं।  

जब लड़का घर गया ,उसने  अपने पिता से बोला पिताजी मुझे मालूम है आपने अपनी जवानी में कुछ ऐसे जूते बनाये थे जो गोल्फ प्लेयर्स के लिए वरदान साबित हुए थे ,आपने वो बनाना क्यों छोड़ दिया था ? पिता ने जवाब दिया वो मैंने कारखाने में बनाये थे उसमे अनुभव के साथ मशीनो की भी जरूरत  होती है। 
दुर्भाग्य से कुछ दिनों बाद कारखाने में आग लग गयी और में बेरोजगार हो गया , पिता ने बोला एक ही बात कितनी बार पूछेगा मुझसे।  

लड़के ने पिता से ये बात पहले भी सुनी थी उसने तुरंत बोला पिताजी , अब कारखाना भी है और कारीगर भी हैं , कारखाने का मालिक ये चाहता है की आप ५० कारीगरों आधा काम सिखाये और जब आधा काम हो जाये तो बाकि ५० कररगरों को बचा हुआ आधा काम , कहने का मतलब साफ़ था कोई भी कारीगर को पूरी विधि नहीं आनी चाहिए। 

पिता ने ऐसा ही  किया,, अब जूते तैयार थे, दुकान का मालिक जूते देखकर हैरान हो गया ऐसे जूते उसने ज़िन्दगी में कभी नहीं देखे थे , वो तुरंत बोला  अब चले रोबर्ट के मैनेजर के पास ,लड़के ने बोला  उसे  तो मैंने उसी दिन अपने से मिलने वालों के लिस्ट से हटा दिया था , 

अब तो तुम  ये बताओ शहर में सबसे बड़ा गोल्फ का शौक़ीन कौन है दुकानदार ने बताया विल्सन और जेफ़र्सन जिसमे से  जेफ़र्सन विल्सन  के गुरु थे और हाल ही में १ हफ्ते पहले उनका निधन हुआ था। 

लड़के ने पुछा ये खबर आपको कहा मिली , दुकानदार बोला रेडियो पर वो वैसे भी बहुत बड़े आदमी थे तो अख़बारों में भी छपा था , लड़के ने पुछा कुछ गोल्फ के बारे में जानते हो वो क्या चाह्ते थे , दुकानदार बोला हाँ वो एक टीम बनाना चाहते थे गोल्फ की। 

लड़के ने बोला चलो विल्सन के यहाँ , विल्सन  बड़ा आदमी था जब ये दोनों वह  पहुंचे गार्ड ने उन्हें रोक लिया , लड़के ने बोला हमे अपॉइंटमेंट की जरूरत नहीं आप विल्सन  को बोल सकते हैं , गार्ड ने पहले कभी किसी को विल्सन  को सीधे विल्सन  कहते नहीं सुना था. उन्हें लोग सर विल्सन  कहते थे , गार्ड ने उन्हें जाने दिया विल्सन  तेजमिज़ाज़ आदमी था ,लड़के ने उससे  बोला बिना इज़ाज़त आपसे मिलना पड़ा मगर वजह बहुत बड़ी है असल में मै जेफ़र्सन  से मिलना चाहता था क्योकि वे इतने बड़े गोल्फ प्लेयर थे और में उनकी टीम को बेमिसाल तोहफा देने से चूक गया , फिर लड़के ने जूतों का एक जोड़ा विल्सन को दिखाया जूतों में बात थी , विल्सन अब नम्र हो चूका था , बोला कितने जूते हैं ये ,और इनका कितना धन देना पड़ेगा 
अब वो पड़ाव था जो संवेदनशील था लड़के ने बोला जो भी देना है दे दीजिये बस इतना समझ लीजिये सर जेफ़र्सन  के  नाम से ये जूते पहली बार दुनिया देखेगी आप  उनकी प्रतिभा के हिसाब और आपकी उनके प्रति  जितनी निष्ठां  है उसके  हिसाब से दे दीजिये ,

पर  मे चाहूंगा  ये बात पूरा न्यूयोर्क यहाँ सबसे बड़े अख़बार के माध्यम से जाने , फिर क्या था विल्सन ने  उन जूतों की वो कीमत दी जो सपने में कल्पना न थी , दुकानदार को ४०% देने के बाद लड़के ने ६०% अपने पिता को दिए  , 

अब वो वक़्त था जब सही मायने में लड़के के पिता इतने बड़े  आदमी  हो  गए  थे की अब सच  में  उनका  अपॉइंटमेंट रोबर्ट जैसे बड़े  आदमी को भी १ महीने बाद ही मिल पाता।  

एक सच्ची घटना को आपने इतने ध्यान से सुना आप सबका धन्यवाद। 

अब में अभिषेक यादव आपसे कुछ  पूछना चाहता हूँ 
१. आखिर लड़का दुसरे नंबर के शोरूम में क्यू गया ?
२. वो १२ बजे बोलकर  १२:४५ को ही क्यू आया ?
३. दुकान के मालिक को उसने अपने पिता से ,या यु कहे की अपने पिता को उसने दुकान के मालिक से क्यू नहीं मिलवाया ?

इसके जवाब आपको मिलेंगे अगले चरण में ,तब तक के लिए आप सभी को अभिषेक यादव की तरफ से अल्प विराम।