Sunday 31 December 2017

मानो या न मानो

जब आप नहीं जानते तभी आप मानते हैं ,जब आप जान लेंगे तब मानने की क्या आवश्यकता ,
ईश्वर पर आस्था रखना एक प्रकार का अन्धविश्वास है , जान लो उसको जो तुम्हारे अंदर है ,
जिस दिन आपको ईश्वर का अनुभव हो जायेगा तब आप उसे जान लोगे ,उससे आपको प्रेम हो जाएगा ,
भरोसे के साथ संशय भी आता है ,जहा भरोसा है वहां  संशय भी है दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ,
सूरज है ये आप जानते हैं ये आपके भरोसे या मानने या न मानने पर निर्भर नहीं करता ,
में कहता हूँ जितना संशय करना है करो , ये पहली सीढ़ी है यथार्थ को जानने की , जहा सत्य है
वहां आपको संशय की सीढ़ी पंहुचा देंगी , संशय पवित्र है भरोसा संशय को छुपाने का एक माध्यम है।
इसीलिए भरोसे  की चादर हटा दो , संशय का अंत सत्य है और संशय का प्रारम्भ भरोसा ,
इस विरोधाभाष को समझना बहुत आवश्यक है ,इसीलिए शास्त्रों से ज्ञान लो पर यदि वो आपके अनुभव पर खरा उतरता है तब ही उसे सत्य जानो न की  मानो ,

भरोसा जिसे आप कहते वो दरअसल सत्य को न जानने का डर  है  या घोर आलस है , भरोसा जो में आपसे कह रहा हूँ वो संशय  की सीढ़ी पर चढ़ कर  मिलता है।

हर खोज संशय से ही प्रारम्भ होती है अध्यात्म में यदि वैज्ञानिकता आधार नहीं है तो वो अध्यात्म झूठा है।
यदि शास्त्रों में सब कुछ सच  है तो भय किस बात का , बोलों बच्चो को की जब तक ईश्वर को जान न लो तब तक मानना मत , निकालने  दो कमिया सभी धार्मिक पुस्तकों में यदि सत्य है तो संशय मिटा देगा और यदि असत्य है तो वो बच्चा शास्त्रों में बदलाव कर  देगा।



Tuesday 28 November 2017

मुझे अपने पास बुला लेना

काश मेरे पिता होते , कुछ क्षण और जी लिए होते।

माँ आपसे बहुत नाराज़ हूँ ,
आपने संस्कार तो बहुत  दिए ,थोड़ी  सी दुनियादारी भी सीखा दी होती ,तो मेरी ऐसी दुर्गति ना हो रई  होती ,

बिना मौत के मर  रहा हूँ , भ्रम है आपको की मैं  जी रहा हूँ ,
माँ,, पिता के प्रति आपकी निष्ठा  और भक्ति देखी है ,चकित हूँ इस घोर कलयुग में भी ऐसी सावित्री हो सकती है ,

आपके संस्कार और दुनिया के दस्तूर मिलकर मेरा दम घोंट रहे हैं,
जैसे शहद और घी मिलकर  विष बन रहे हैं। .


है परमेश्वर हाथ जोड़ कर कहता हूँ तुझसे ,उठना तो सबको है इस दुनिया से ,
पिता तो तूने छीन  ही लिए हैं मेरे , बस एक दया कर  देना ,मेरी माँ के पहले मुझे अपने पास बुला लेना ,,

मुझे अपने पास बुला लेना  .

अभिषेक यादव 

Thursday 12 October 2017

आस्था

जो आस्था परोपकार की जगह स्वार्थ का पाठ पढाती हो वो सिर्फ अन्धविश्वास को जन्म  देती है या ढोंग कहलाती है।  

Saturday 30 September 2017

After all, Krishna chose Arjuna for the war

After all, Krishna chose Arjuna for the war,
He could also choose Bhima, he had already agreed to the war, but Krishna chose Arjuna because he had to build the Gita, the rhetoric of the Gita is wrong only to tell Krishna.

It would be wrong to say that Geeta's rituality is just Krishna, but Arjun was also a producer of 50% of Gita, Arjun had prepared a question paper for Krishna and Krishna had answered the answer sheet.

Krishna also knew Arjun was not the supreme archer, but he knew that according to the wisdom Arjun is best to ask questions in the Kurukshetra,

And it is known to all that preparing the questions is more difficult than answering. Even when you are not God, Arjun did not leave any shortcomings in asking the questions to complete the Gita, this is the reason that even today Gita Relevant and complete.

"You increase your view, God is in you not in the scriptures, if your experience matches the scriptures then it is fine, otherwise the scriptures need to improve or change their point of view"

आखिर कृष्ण ने अर्जुन को ही क्यों चुना युद्ध के लिए

आखिर कृष्ण ने अर्जुन को ही क्यों चुना युद्ध के लिए ,
वो भीम को भी चुन सकते थे ,वो तो पहले से ही युद्ध के लिए राज़ी था ,लेकिन कृष्ण ने अर्जुन को चुना क्योकि उससे गीता का निर्माण होना था ,गीता के रचियता सिर्फ कृष्ण को कहना गलत  होगा।

गीता के रचियता सिर्फ कृष्ण हैं ये कहना गलत  होगा बल्कि अर्जुन भी ५०%  गीता का निर्माता था , अर्जुन ने कृष्ण के लिए प्रश्नपत्र तैयार किया था और कृष्ण ने उत्तर पत्रिका।

कृष्ण ये भी जानते थे  अर्जुन सर्वश्रष्ठ धनुर्धर नहीं है पर वो ये जानते थे की बुद्धि के हिसाब से  अर्जुन ही कुरुक्षेत्र में प्रश्नों को पूछने के लिए सर्वश्रेष्ठ है,

और ये तो सभी जानते है की  प्रश्नों को तैयार करना उत्तर देने से ज्यादा कठिन काम है वो भी तब जब आप भगवान नहीं हैं, गीता पूर्ण बनाने में अर्जुन  ने  प्रश्नों  को  पूछने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी  ,यही कारण है कि गीता आज भी प्रासंगिक और पूर्ण है। 

"आप अपना दृश्टिकोण बढ़ाये, भगवान आपमें है शास्त्रों में नहीं ,आपके अनुभव यदि शास्त्रों से मेल खाते हैं तो ठीक है, नहीं तो शास्त्रों में सुधार की जरूरत  है या अपना दृश्टिकोण बदलने की"


Friday 2 June 2017

Thursday 2 March 2017

Mainframe Cobol retrofitting tool by Abhishek Yadav

This is very much new in the market , I have developed retrofitting tool for cobol programs,
Interested people can contact me on abhicreation05@gmail.com

As of now no such tool available many people are still seeking for this tool.

Going to copyright it soon.

Monday 2 January 2017

Mauritius treaty & Mauritius Route

What is Mauritius treaty? 

Mauritius treaty एक प्रकार का एग्रीमेंट है जिसे  DTAA ( double taxation avoidance agreement) कहते हैं। इसका मतलब है यदि आपने Mauritius में कोई इनकम की है और टैक्स पे कर दिया है तो उसके बाद उस money पर India में कोई भी, और किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। 

Mauritius Route
वो रास्ता जसके द्वारा Foreign Currency को Mauritius की  किसी कंपनी से भारत में निवेश कर सकते हैं ,Mauritius Route कहलाता है ,
यहाँ तक तो सब ठीक है पर हमारा  टैक्स सिस्टम Mauritius Route  को corruption  का एक सुनहरा रास्ता बना देता है। 

आइये जानते है कैसे ?

किसी कंपनी को Mauritius में रजिस्टर्ड करने के लिए सिर्फ 3 चीज़ चाहिए. 
1.  कंपनी का नाम 
2 . कंपनी का address और
3.  सिर्फ एक फ़ोन नंबर 

एक बार आपकी कंपनी  Mauritius में registered  हो गयी तो आप भारत में निवेश कर  सकते हैं ,अब एग्रीमेंट में एक नियम है कि भारतीय अधिकारी Mauritius की  कंपनी के  मालिक से उसका  identity proof नहीं  मांग सकते ,
ये  नियम पुष्टि करता है कि हमारे देश के कई नेता अरबों डॉलर का इन्वेस्टमेंट मॉरीशस-route के through कर रहे हैं। अंडर वर्ल्ड वर्ड भी  इसी route से को use करता करता  है।

How black money is converted to white?
अब हम देखेंगे की लोग काले धन को सफ़ेद कैसे करते हैं   
1.  सबसे पहले ये लोग Mauritius में अपनी कंपनी रजिस्टर करते हैं ,फिर काले धन को Mauritius ले जाकर इसे अपनी कंपनी से हुआ प्रॉफिट बताते हैं ,इससे ये साबित करने की कोशिश करते हैं की ये income उनकी Mauritius में ही हुई है  
2 इस profit पर  Mauritius केवल 1 % tax  लेती है ।
3.  अब जैसे ही Mauritius ने tax काटा , उसके बाद  ये  लोग इस पैसे को stock market में किसी Indian कंपनी के शेयर खरीद के इन्वेस्ट कर देते हैं 
4. अब  1 साल के बाद उस money को  withdraw कर लेते हैं  ,as According to Indian law, Long Term Capital Gains Tax is 0%,भारतीय कानून के अनुसार, दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ का कर 0% है। 
5. अब सबसे बड़ा point  , 90 % cases में Mauritius की कंपनी का मालिक  और इंडियन कंपनी का मालिक same  होता है 
6.  जब भी money withdraw होती है तो इंडियन government को INR  की जगह USD  देना पड़ता है  जो की एक और बड़ा loss है 

अब चूंकि यह money  स्टॉक market  से withdraw की जाती है  ,तो ये सारा  black money white में convert हो  जाता है। इससे बुरा fact  ये  है कि यह black  money बिना किसी tax के  , white बन जाता है । 

- अंडरवर्ल्ड , अंतरराष्ट्रीय माफिया आदि इस सर्किट में शामिल  हैं। भारतीय नेताओं ने ऐसे कानूनों इसीलिए बनाये हैं ताकि ये  भी स्विस बैंक से काले धन को मॉरिशस के रास्ते सफ़ेद कर सके। 

10th May 2016  को फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने इस एग्रीमेंट को revised  कर  दिया जिसमे 1st April 2017. के पहले 0% टैक्स ही  रहेगा उसके बाद 1 st April 2017 से  31st March 2019 तक डोमेस्टिक टैक्स रेट का 50% लगेगा ,

इसमें ३ बहुत बड़ी कमियां हैं 
१. यदि black money को ख़तम करना था  तो ये route  revised  की बजाय बंद करना था और यदि चालू रखना था तो पूरा डोमेस्टिक टैक्स rate लगाना था 
2 . इन्वेस्ट की हुई मनी को USD में देने का प्रावधान है INR में करना था 
3 . जब ये कानून  में है की इंडिया के अधिकारी फॉरेन इन्वेस्टर का नाम नहीं जान सकते तो ,इसको बदलना था। 
नया कानून  बनाते की इन्वेस्टर को अपनी पहचान भारत को बतानी होगी , जो इन्वेस्टर अपना नाम नहीं बताता है ,उसके  धन को national property declare कर दिया जायेगा ।   यदि सरकार ऐसा करती तो 80 % कला धन वैसे ही वापस आ गया होता , 

काश demonetization के पहले आम जनता ये समझ पाती की उनके साथ ये घोर अन्याय है क्योकि भ्रस्टाचारी तो अभी भी मजे में है.