Tuesday, 28 November 2017

मुझे अपने पास बुला लेना

काश मेरे पिता होते , कुछ क्षण और जी लिए होते।

माँ आपसे बहुत नाराज़ हूँ ,
आपने संस्कार तो बहुत  दिए ,थोड़ी  सी दुनियादारी भी सीखा दी होती ,तो मेरी ऐसी दुर्गति ना हो रई  होती ,

बिना मौत के मर  रहा हूँ , भ्रम है आपको की मैं  जी रहा हूँ ,
माँ,, पिता के प्रति आपकी निष्ठा  और भक्ति देखी है ,चकित हूँ इस घोर कलयुग में भी ऐसी सावित्री हो सकती है ,

आपके संस्कार और दुनिया के दस्तूर मिलकर मेरा दम घोंट रहे हैं,
जैसे शहद और घी मिलकर  विष बन रहे हैं। .


है परमेश्वर हाथ जोड़ कर कहता हूँ तुझसे ,उठना तो सबको है इस दुनिया से ,
पिता तो तूने छीन  ही लिए हैं मेरे , बस एक दया कर  देना ,मेरी माँ के पहले मुझे अपने पास बुला लेना ,,

मुझे अपने पास बुला लेना  .

अभिषेक यादव 

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