Friday, 8 June 2018

ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम !!! aise the mere pyare kalam self creations

में अभिषेक यादव आप सभी का स्वागत करता हूँ , आज में बात करूंगा कलाम साहब की ,
मैंने उनके लिए एक कविता लिखी थी ,जब उनका निधन हुआ था ,और आज में चाहता हूँ ,की मेरी कविता जन जन तक पहुंचे ,
ताकि में उनको एक सच्ची श्रद्धांजलि दे पाउ , उनका न होना हमारे देश के लिए इतनी बड़ी कमी जिसकी पूर्ती नहीं हो सकती।

मेरा एक छोटा सा प्रयास है उनके व्यक्तित्व जो जन जन में जगाने का ,आइये शुरू करते हैं कविता जिसका शीर्षक है

"ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम "

ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम , सब करते हैं उनको सलाम ,
न किसी से बैर न कभी किया कोई अनैतिक काम ऐसे थे मेंरे कलाम ,

दे दी जिसने शक्ति भारत को ,दे दिया हम सबको वरदान ऐसे थे मेरे साहब कलाम ,
न चाह थी  उनको दौलत की ,न ही था  सत्ता का अभिमान , न खरीद सका अमेरिका तक जिनको  ऐसे अनमोल थे मेरे कलाम ,

चाहे कोई सिख हो ,या हो हिन्दू , ईसाई हो या मानता हो इस्लाम , सबके  प्यारे थे मेरे कलाम , सारी दुनिया करती थी उनको सलाम 
ऐसे थे मेरे कलाम 

अभिमान नहीं रत्ती भर , बस्ते थे उनके बच्चो में प्राण ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम 
अखबार बेचे जिन्होंने बचपन में ,घर चलाया अपना और कर दिया अपना बचपन बलिदान ऐसे थे मेरे कलाम 

आज भी जा के देखो साधारण सा घर है उनका , न किया राष्ट्रीय सम्पति का दुरूपयोग लगा दिया सारा धन अपने देश के नाम 
ऐसे देश भक्त थे हमारे साहब कलाम 

तीनो सेना (जल ,थल ,वायु ) अधीन थी जिनके  , वो कर देते थे किसी भी छोटे से कर्मचारी को सलाम , क्या महान व्यक्तित्व था  उनका क्यों न करे हम पूजा उनकी जो दे गए इतना ज्ञान महान , ऐसी विनम्र थे हमारे कलाम 

जब राष्ट्रपति बने तो दिया परिचय फिर से विनम्रता का , बांधते थे अपने खुद के जूते के फीते ,,न करने दिया किसी कर्मचारी को ये काम , देते थे सबको सम्मान ,ऐसे स्वावलम्बी थे मेरे कलाम 

बहुत पुस्तके लिख गए साहब मेरे , वो शब्द नहीं अहसास है मेरे दोस्तों , उतारना उन अहसासों को अपने जीवन में , मिल जायेगा परिचय उनका ,न कर सकूँगा तारीफ उनकी शब्दों में वो व्यक्ति था सबसे निराला और महान , ऐसे थे मेरे साहब कलाम 

आज थर्राती है दुनिया भारत की शक्ति से , करती भारत माँ भी अभिमान , ऐसा पुत्र मिला था जिसको , पूरी दुनिया करती सम्मान ऐसे प्यारे थे मेरे कलाम , आज न रोक सकूँगा अपने आसूं न भूल सकूँगा उनका बलिदान ऐसे प्यारे थे मेरे कलाम 

आज लड़ती है पार्टियां आपस में , निकालती हैं बुराइयां एक दूसरे में , उसी देश में था भारत माँ का ये लाल जिसको कुछ बोलने की हिम्मत नहीं थी किसी की,, सबकी बंद हो जाती थी जबान ,जब सामने आते थे उनके प्यारे काम , सभी पार्टियां आज भी करती हैं उस महान इंसान को सलाम , ऐसे प्यारे थे मेरे कलाम |

आज के नेताओं को ये सबक है छोडो ये लड़ना झगड़ना ,अपना लो कलाम को अपने जीवन में दुश्मन भी करने लगेंगे सम्मान  , न रहेगी किसी पद की लालसा तुमको,न ही रहेगा पैसो का अभिमान , कठिन है मेरे कलाम का पथ , एक पग तो चल के देखो ,करेगी  दुनिया तुमको भी सलाम , ऐसे प्यारे थे मेरे कलाम 

खून खौल जाता है जब आता है अमेरिका के सीओ-०८३ फ्लाइट का नाम , सुरक्षा के नाम पर जूते उतरवाए थे हमारे कलाम साहब के ,
व्यक्तित्व तो देखो कलाम साहब का कुछ न बोले बेचारे , और अमेरिका हो गया पूरे विश्व में बदनाम , इतना बड़ा था हमारे कलाम का नाम .

पूछता हूँ अमेरिका से,,, क्यों आया था कलाम साहब के पास हज़ारों डॉलर ले के और बोल रहा था नासा में कर लो काम 
दे दिया था जवाब उन्होंने बखूबी ,बोले सच्चा हिंदुस्तानी हूँ में , न कर पाउँगा तुम्हारे नासा में काम 

देशवासियों कभी न जोड़ना धरम से उनका  नाम , न थे वो हिन्दू ,न ईसाई न ही क्रिश्चन और न मुसलमान ,वो तो थे एक सच्चे इंसान ,वो तो थे एक सच्चे इंसान ,वो तो थे एक सच्चे इंसान ........

वैसे तो सवा सौ करोड़ पुत्र हैं भारत माँ के ,पर आज बोलती हैं भारत माँ 
बता दी थी जिसने परमाणु शक्ति पूरे विश्व को ऐसा था मेरा पुत्र कलाम , डरती थी पूरी दुनिया उससे और  सो  जाती थी में चैन से पहले,  ऐसा था मेरा पुत्र कलाम ,किस्मत वाली हूँ में जो मिला मुझे ऐसा पुत्र महान 

करोड़ों का प्रस्ताव ठुकरा दिया विदेशों का ,ऐसे सच्चे देशभकत को  हमारा सलाम  , न भूतो न भविष्यति ऐसे राष्ट्रपति थे हमारे कलाम  

आओ श्रद्धांजलि अर्पित  करे उस महान भारत माँ के पुत्र को और संकल्प करे उतारेंगे उनके विचार जीवन में ,और हर बच्चा होगा एक नया कलाम , ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम।  

इतनी शिद्दत और अन्तरदृस्टि से आपने इस कविता को सुना , आप सभी के हृदय में बैठे कलाम साहब को अभिषेक  का  प्रणाम

My Tribute to kalam Sahab : Abhishek Yadav


Tuesday, 5 June 2018

क्या आप आ सकोगे एक बार फिर इस जमाने में "काश हमको नाज़ होता फांसी पर चढ़ जाने में".. -भगत सिंह ,

एक दिन कुछ देश भक्तों ने  दिल से पुकारा भगत  सिंह राजगुरु और सुखदेव को और बोला आज फिर से जरूरत आन पड़ी है आप की ,,क्या आप आ सकोगे एक बार फिर इस जमाने में , 

बोले तीनो ,,, देख रहे हैं  भारत के हालात  इस जमाने में 
हमने तो सर कटवा दिए इन गद्दारों  के सर बचाने में,

एक पल भी न सोचा हमारे बारे में ,,पूरा वक़्त गया लोगो का अंग्रेजी  पढ़वाने में , 
हम तो क्रांतिकारी थे देश भक्त थे , पर जरा भी वक़्त न लगा हमको टेररिस्ट बताने में ( नोट: NCERT Textbooks )
हमने तो सर कटवा दिए इन गद्दारों  के सर बचाने में,

था हमारा देश सोने की चिड़िया,, न वक़्त लगा इनको रूपये को  पैंसठ  गुना गिराने में ( १ डॉलर = ६५   रुपया )
अच्छा है,नहीं छापते लोग हमारी फोटो नोटों में ,,,,नहीं तो रुपया गिरने  के साथ हम भी गिरते जाते  इस जमाने में ..
हमने तो सर कटवा दिए इन निकम्मो  के सर बचाने में

आज हो गए सब देश भक्त हज़ार के नोट नहीं चलते इस ज़माने में 

हमने तो  दिया था पूरा भारत,,आज कश्मीर तक नहीं बचा पाते लोग और वीसा लगता है मानसरोवर जाने में ,
हमने तो सर कटवा दिए इन बुजदिलों  के सर बचाने में

आज बेचारा मर जाता है किसान फसल उगाने में , नेता खाते है हाजमे की गोली अपना खाना पचाने में ,
हमने  तो सर कटवा दिए इन मुफ्तखोरों   के सर बचाने में

जो कर दिखाया हमने सिर्फ तेईस (२३) सालों में ,न कर सके लोग सत्तर (७०) सालों में 
हमने तो सर कटवा दिए इन बेईमानों के सर बचाने में

इंडिया के नाम से जानते हैं लोग आज भारत को , नाम भी न बचा पाये देश का और विश्वास रखते हैं मुंबई को शंघाई बनाने में ,
काश चीन बोलता शंघाई को मुंबई बनाने की बात तो नाज़ होता हमको फांसी पर चढ़ जाने में  .
हमने तो सर कटवा दिए इन अंग्रेज़ों के चमचों  के सर बचाने में 

पाकिस्तान बताता है कश्मीर को अपना ,,चीन समझता है शान अरुणाचल को अपना बताने में , 
भारत माता को नोच रहे थे जब ये दोनों, तब नेता रात बिता रहे थे मैखानो में 
हमने तो सर कटवा दिए इन  ख़ुदग़र्ज़ों  के सर बचाने में 

करोडो खर्च होते हैं उन नेताओ के जन्मदिन पर जिनने पल भर नहीं सोचा  देश लुटाने में , पी. ओ. के. बनवाया , चीन से हारे और शर्म भी नहीं आई अपने आप को  भारत रतन दिलवाने में , हमने तो सर कटवा दिए इन बुजदिलों  के सर बचाने में

करोडो खर्च हुए कसाब पर और मुशर्रफ को बुलाने में , दे देते ये पैसा किसानो को तो न करते आत्महत्या , जान आ जाती बेचारों में 

पेट्रोल के दाम बढे तो कुयूं  फैलाते हो विदेशों के सामने हाथ , क्या शर्म आती है इज़्ज़त से साइकिल चलाने में 
हमने तो सर कटवा दिए इज़्ज़त की  ज़िंदगी दिलवाने  में

फेस बुक और व्हाट्सअप पर हमको शेयर करने वालों कभी सच्चे दिल से हमको याद करना ,
एक सौ चौदह (११४) नहीं  सिर्फ एक दिन भूखे प्यासे बिताना तहखानों में , समझ आ जायेगा क्या तेज था हम देश भक्त दीवानों में 

नहीं चाह है ,भारत रतन की हमको ,  बस   अनुरोध है , आज की पीढ़ी से ,,जगा लेना  देशभक्ति अपने दिलों में ,
जगा देना  फिर वही जज़्बा अपने बच्चों और यारों में  ,पैदा हो जाएंगे हम आने वाले जवानो में , 
इंसान नहीं विचार हैं  हम ,कभी मर नहीं सकते , अभी भी जिन्दा हैं बस देख लेना  सच्चे देश भक्त जवानो में ,
हमने तो सर कटवा दिए यही जज़्बा जगाने  में

पकड़ना टुकड़ा बर्फ का  सिर्फ १० मिनिटों के लिए  हाथों में,, पता चल जायेगा , कैसे बिताईं थीं हमने एक सौ चौदह रातें , बर्फ की सिल्लियों पर उन गर्म जोश जज़बातों में .

कर सकते देश की सेवा कुछ दिन और, यदि न कांपते नेताओ के हाथ हमको बचाने में ,
जिन्दा होते तो फहरा देते तिरंगा पूरी दुनिया में इन सत्तर (७०)  सालों में ,
ऐ मेरी माँ हमे माफ़ करना तेरा सहारा न बन पाये हम , ये जीवन हसते हसते चला गया  भारत माँ का क़र्ज़ चुकाने में , 

हम देश भक्तों को तो सच्ची जनता ही समझती है ,
बहुत से बेईमान भरे पड़े है हैं इस देश में नहीं तो गुलामी इतनी लम्बी कहाँ  होती है ,

याद है फांसी के  पहले की वो रात जब कह दिया था माँ से मैंने ,ना आना पार्थिव भगत को लेने ,
न समझ पाएंगे बेईमान  नेता तेरी  कुर्बानी ,बना देंगे उसको भी बेमानी  

आज भगत ना सह पायेगा अपनी माँ की ये दशा , सच्चे देश भक्तो की माओं की कहा इज़्ज़त  होती है ,
यदि टपक गए तेरे कोमल ह्रदय से दो आंसू , न वक़्त लगेगा लोगो को कहने में ,, भगत की माँ रोती है ,भगत की माँ रोती है ,

ऐ देशभक्तों न चढ़ना अब तुम फांसी पर , अब तो  जी जान लगा देना इन गद्दारों को फांसी चढ़वाने में ,हमने तो सर कटवा दिए देश को आज़ाद करने  में

फिर से आयंगे हम विचार बन कर भारत के वीर जवानो में ..

To be continued...