में अभिषेक यादव आप सभी का स्वागत करता हूँ , आज में बात करूंगा कलाम साहब की ,
मैंने उनके लिए एक कविता लिखी थी ,जब उनका निधन हुआ था ,और आज में चाहता हूँ ,की मेरी कविता जन जन तक पहुंचे ,
ताकि में उनको एक सच्ची श्रद्धांजलि दे पाउ , उनका न होना हमारे देश के लिए इतनी बड़ी कमी जिसकी पूर्ती नहीं हो सकती।
मेरा एक छोटा सा प्रयास है उनके व्यक्तित्व जो जन जन में जगाने का ,आइये शुरू करते हैं कविता जिसका शीर्षक है
"ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम "
ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम , सब करते हैं उनको सलाम ,
मैंने उनके लिए एक कविता लिखी थी ,जब उनका निधन हुआ था ,और आज में चाहता हूँ ,की मेरी कविता जन जन तक पहुंचे ,
ताकि में उनको एक सच्ची श्रद्धांजलि दे पाउ , उनका न होना हमारे देश के लिए इतनी बड़ी कमी जिसकी पूर्ती नहीं हो सकती।
मेरा एक छोटा सा प्रयास है उनके व्यक्तित्व जो जन जन में जगाने का ,आइये शुरू करते हैं कविता जिसका शीर्षक है
"ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम "
ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम , सब करते हैं उनको सलाम ,
न किसी से बैर न कभी किया कोई अनैतिक काम ऐसे थे मेंरे कलाम ,
दे दी जिसने शक्ति भारत को ,दे दिया हम सबको वरदान ऐसे थे मेरे साहब कलाम ,
न चाह थी उनको दौलत की ,न ही था सत्ता का अभिमान , न खरीद सका अमेरिका तक जिनको ऐसे अनमोल थे मेरे कलाम ,
चाहे कोई सिख हो ,या हो हिन्दू , ईसाई हो या मानता हो इस्लाम , सबके प्यारे थे मेरे कलाम , सारी दुनिया करती थी उनको सलाम
ऐसे थे मेरे कलाम
अभिमान नहीं रत्ती भर , बस्ते थे उनके बच्चो में प्राण ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम
अखबार बेचे जिन्होंने बचपन में ,घर चलाया अपना और कर दिया अपना बचपन बलिदान ऐसे थे मेरे कलाम
आज भी जा के देखो साधारण सा घर है उनका , न किया राष्ट्रीय सम्पति का दुरूपयोग लगा दिया सारा धन अपने देश के नाम
ऐसे देश भक्त थे हमारे साहब कलाम
तीनो सेना (जल ,थल ,वायु ) अधीन थी जिनके , वो कर देते थे किसी भी छोटे से कर्मचारी को सलाम , क्या महान व्यक्तित्व था उनका क्यों न करे हम पूजा उनकी जो दे गए इतना ज्ञान महान , ऐसी विनम्र थे हमारे कलाम
जब राष्ट्रपति बने तो दिया परिचय फिर से विनम्रता का , बांधते थे अपने खुद के जूते के फीते ,,न करने दिया किसी कर्मचारी को ये काम , देते थे सबको सम्मान ,ऐसे स्वावलम्बी थे मेरे कलाम
बहुत पुस्तके लिख गए साहब मेरे , वो शब्द नहीं अहसास है मेरे दोस्तों , उतारना उन अहसासों को अपने जीवन में , मिल जायेगा परिचय उनका ,न कर सकूँगा तारीफ उनकी शब्दों में वो व्यक्ति था सबसे निराला और महान , ऐसे थे मेरे साहब कलाम
आज थर्राती है दुनिया भारत की शक्ति से , करती भारत माँ भी अभिमान , ऐसा पुत्र मिला था जिसको , पूरी दुनिया करती सम्मान ऐसे प्यारे थे मेरे कलाम , आज न रोक सकूँगा अपने आसूं न भूल सकूँगा उनका बलिदान ऐसे प्यारे थे मेरे कलाम
आज लड़ती है पार्टियां आपस में , निकालती हैं बुराइयां एक दूसरे में , उसी देश में था भारत माँ का ये लाल जिसको कुछ बोलने की हिम्मत नहीं थी किसी की,, सबकी बंद हो जाती थी जबान ,जब सामने आते थे उनके प्यारे काम , सभी पार्टियां आज भी करती हैं उस महान इंसान को सलाम , ऐसे प्यारे थे मेरे कलाम |
आज के नेताओं को ये सबक है छोडो ये लड़ना झगड़ना ,अपना लो कलाम को अपने जीवन में दुश्मन भी करने लगेंगे सम्मान , न रहेगी किसी पद की लालसा तुमको,न ही रहेगा पैसो का अभिमान , कठिन है मेरे कलाम का पथ , एक पग तो चल के देखो ,करेगी दुनिया तुमको भी सलाम , ऐसे प्यारे थे मेरे कलाम
खून खौल जाता है जब आता है अमेरिका के सीओ-०८३ फ्लाइट का नाम , सुरक्षा के नाम पर जूते उतरवाए थे हमारे कलाम साहब के ,
व्यक्तित्व तो देखो कलाम साहब का कुछ न बोले बेचारे , और अमेरिका हो गया पूरे विश्व में बदनाम , इतना बड़ा था हमारे कलाम का नाम .
पूछता हूँ अमेरिका से,,, क्यों आया था कलाम साहब के पास हज़ारों डॉलर ले के और बोल रहा था नासा में कर लो काम
दे दिया था जवाब उन्होंने बखूबी ,बोले सच्चा हिंदुस्तानी हूँ में , न कर पाउँगा तुम्हारे नासा में काम
देशवासियों कभी न जोड़ना धरम से उनका नाम , न थे वो हिन्दू ,न ईसाई न ही क्रिश्चन और न मुसलमान ,वो तो थे एक सच्चे इंसान ,वो तो थे एक सच्चे इंसान ,वो तो थे एक सच्चे इंसान ........
वैसे तो सवा सौ करोड़ पुत्र हैं भारत माँ के ,पर आज बोलती हैं भारत माँ
बता दी थी जिसने परमाणु शक्ति पूरे विश्व को ऐसा था मेरा पुत्र कलाम , डरती थी पूरी दुनिया उससे और सो जाती थी में चैन से पहले, ऐसा था मेरा पुत्र कलाम ,किस्मत वाली हूँ में जो मिला मुझे ऐसा पुत्र महान
करोड़ों का प्रस्ताव ठुकरा दिया विदेशों का ,ऐसे सच्चे देशभकत को हमारा सलाम , न भूतो न भविष्यति ऐसे राष्ट्रपति थे हमारे कलाम
आओ श्रद्धांजलि अर्पित करे उस महान भारत माँ के पुत्र को और संकल्प करे उतारेंगे उनके विचार जीवन में ,और हर बच्चा होगा एक नया कलाम , ऐसे थे मेरे प्यारे कलाम।
इतनी शिद्दत और अन्तरदृस्टि से आपने इस कविता को सुना , आप सभी के हृदय में बैठे कलाम साहब को अभिषेक का प्रणाम
My Tribute to kalam Sahab : Abhishek Yadav
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