काश मेरे पिता होते , कुछ क्षण और जी लिए होते।
माँ आपसे बहुत नाराज़ हूँ ,
आपने संस्कार तो बहुत दिए ,थोड़ी सी दुनियादारी भी सीखा दी होती ,तो मेरी ऐसी दुर्गति ना हो रई होती ,
बिना मौत के मर रहा हूँ , भ्रम है आपको की मैं जी रहा हूँ ,
माँ,, पिता के प्रति आपकी निष्ठा और भक्ति देखी है ,चकित हूँ इस घोर कलयुग में भी ऐसी सावित्री हो सकती है ,
आपके संस्कार और दुनिया के दस्तूर मिलकर मेरा दम घोंट रहे हैं,
जैसे शहद और घी मिलकर विष बन रहे हैं। .
है परमेश्वर हाथ जोड़ कर कहता हूँ तुझसे ,उठना तो सबको है इस दुनिया से ,
पिता तो तूने छीन ही लिए हैं मेरे , बस एक दया कर देना ,मेरी माँ के पहले मुझे अपने पास बुला लेना ,,
मुझे अपने पास बुला लेना .
अभिषेक यादव
माँ आपसे बहुत नाराज़ हूँ ,
आपने संस्कार तो बहुत दिए ,थोड़ी सी दुनियादारी भी सीखा दी होती ,तो मेरी ऐसी दुर्गति ना हो रई होती ,
बिना मौत के मर रहा हूँ , भ्रम है आपको की मैं जी रहा हूँ ,
माँ,, पिता के प्रति आपकी निष्ठा और भक्ति देखी है ,चकित हूँ इस घोर कलयुग में भी ऐसी सावित्री हो सकती है ,
आपके संस्कार और दुनिया के दस्तूर मिलकर मेरा दम घोंट रहे हैं,
जैसे शहद और घी मिलकर विष बन रहे हैं। .
है परमेश्वर हाथ जोड़ कर कहता हूँ तुझसे ,उठना तो सबको है इस दुनिया से ,
पिता तो तूने छीन ही लिए हैं मेरे , बस एक दया कर देना ,मेरी माँ के पहले मुझे अपने पास बुला लेना ,,
मुझे अपने पास बुला लेना .
अभिषेक यादव