Monday, 2 January 2017

Mauritius treaty & Mauritius Route

What is Mauritius treaty? 

Mauritius treaty एक प्रकार का एग्रीमेंट है जिसे  DTAA ( double taxation avoidance agreement) कहते हैं। इसका मतलब है यदि आपने Mauritius में कोई इनकम की है और टैक्स पे कर दिया है तो उसके बाद उस money पर India में कोई भी, और किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। 

Mauritius Route
वो रास्ता जसके द्वारा Foreign Currency को Mauritius की  किसी कंपनी से भारत में निवेश कर सकते हैं ,Mauritius Route कहलाता है ,
यहाँ तक तो सब ठीक है पर हमारा  टैक्स सिस्टम Mauritius Route  को corruption  का एक सुनहरा रास्ता बना देता है। 

आइये जानते है कैसे ?

किसी कंपनी को Mauritius में रजिस्टर्ड करने के लिए सिर्फ 3 चीज़ चाहिए. 
1.  कंपनी का नाम 
2 . कंपनी का address और
3.  सिर्फ एक फ़ोन नंबर 

एक बार आपकी कंपनी  Mauritius में registered  हो गयी तो आप भारत में निवेश कर  सकते हैं ,अब एग्रीमेंट में एक नियम है कि भारतीय अधिकारी Mauritius की  कंपनी के  मालिक से उसका  identity proof नहीं  मांग सकते ,
ये  नियम पुष्टि करता है कि हमारे देश के कई नेता अरबों डॉलर का इन्वेस्टमेंट मॉरीशस-route के through कर रहे हैं। अंडर वर्ल्ड वर्ड भी  इसी route से को use करता करता  है।

How black money is converted to white?
अब हम देखेंगे की लोग काले धन को सफ़ेद कैसे करते हैं   
1.  सबसे पहले ये लोग Mauritius में अपनी कंपनी रजिस्टर करते हैं ,फिर काले धन को Mauritius ले जाकर इसे अपनी कंपनी से हुआ प्रॉफिट बताते हैं ,इससे ये साबित करने की कोशिश करते हैं की ये income उनकी Mauritius में ही हुई है  
2 इस profit पर  Mauritius केवल 1 % tax  लेती है ।
3.  अब जैसे ही Mauritius ने tax काटा , उसके बाद  ये  लोग इस पैसे को stock market में किसी Indian कंपनी के शेयर खरीद के इन्वेस्ट कर देते हैं 
4. अब  1 साल के बाद उस money को  withdraw कर लेते हैं  ,as According to Indian law, Long Term Capital Gains Tax is 0%,भारतीय कानून के अनुसार, दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ का कर 0% है। 
5. अब सबसे बड़ा point  , 90 % cases में Mauritius की कंपनी का मालिक  और इंडियन कंपनी का मालिक same  होता है 
6.  जब भी money withdraw होती है तो इंडियन government को INR  की जगह USD  देना पड़ता है  जो की एक और बड़ा loss है 

अब चूंकि यह money  स्टॉक market  से withdraw की जाती है  ,तो ये सारा  black money white में convert हो  जाता है। इससे बुरा fact  ये  है कि यह black  money बिना किसी tax के  , white बन जाता है । 

- अंडरवर्ल्ड , अंतरराष्ट्रीय माफिया आदि इस सर्किट में शामिल  हैं। भारतीय नेताओं ने ऐसे कानूनों इसीलिए बनाये हैं ताकि ये  भी स्विस बैंक से काले धन को मॉरिशस के रास्ते सफ़ेद कर सके। 

10th May 2016  को फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने इस एग्रीमेंट को revised  कर  दिया जिसमे 1st April 2017. के पहले 0% टैक्स ही  रहेगा उसके बाद 1 st April 2017 से  31st March 2019 तक डोमेस्टिक टैक्स रेट का 50% लगेगा ,

इसमें ३ बहुत बड़ी कमियां हैं 
१. यदि black money को ख़तम करना था  तो ये route  revised  की बजाय बंद करना था और यदि चालू रखना था तो पूरा डोमेस्टिक टैक्स rate लगाना था 
2 . इन्वेस्ट की हुई मनी को USD में देने का प्रावधान है INR में करना था 
3 . जब ये कानून  में है की इंडिया के अधिकारी फॉरेन इन्वेस्टर का नाम नहीं जान सकते तो ,इसको बदलना था। 
नया कानून  बनाते की इन्वेस्टर को अपनी पहचान भारत को बतानी होगी , जो इन्वेस्टर अपना नाम नहीं बताता है ,उसके  धन को national property declare कर दिया जायेगा ।   यदि सरकार ऐसा करती तो 80 % कला धन वैसे ही वापस आ गया होता , 

काश demonetization के पहले आम जनता ये समझ पाती की उनके साथ ये घोर अन्याय है क्योकि भ्रस्टाचारी तो अभी भी मजे में है.