एक बाप ने बहुत पैसा कमाया , ईमानदारी को बेच के पैसा घर लाया
बेटा छोटा था बाप का सच न जान पाया ,पैसो से ही बाप का मोल लगाया
बड़ा हुआ बेटा तो ज़रूरतों का अम्बार लगाया जिसे बाप न पूरा कर पाया
बेटे ने सोचा बाप का क्या करना है कब तक बोझ उठाऊंगा इससे अच्छा अपना हिस्सा लेकर अलग न हो जाऊंगा , बाप को बात देर से समझ आई पकड़ ली उसने चारपाई ,बोला बेटा डॉक्टर को ले आना
बाप बोला बीमा है मेरा बेटा तेरे लिए , जायदाद भी है तेरे लिए ,कल न रहु तो शोक मत मनाना पर आज तो डॉक्टर को ले ही आना,बेटा सीधे वकील को ले आया ,कहा बाप से कल का इंतज़ार नहीं कर पाउँगा ,सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को आज ही काट के खाऊंगा।
एक पिता ने सिर्फ थोड़ा पैसा कमाया और बेटे के लिए चीज़ों के बजाय संतोष खरीद कर लाया ।
बेटा छोटा था पिता का सच न जान पाया ,संतोष से ही पिता का मोल लगाया।
बड़ा हुआ बेटा तो उसे अपने पिता का कड़ा परिश्रम समझ में आया ,
पिता ने अपना सही धन बेटे के रूप में कमाया ,
पिता की उम्र हो चली थी उसकी भी चारपाई में शाम ढलने लगी थी ,
बोला बेटा कुछ धन बचा है तेरे लिए कल न रहु तो शोक मत मनाना ,
बेटा बोला पिताजी शान हैं आप मेरे ,,,अपनी उम्र तक आपको लगाऊंगा
कल का इंतज़ार नहीं कर पाउँगा आज से आपके सपने पूरे करने में लग जाऊंगा ,
जब तक खुशियां आपके पैरों में न रख दूँ आज संतोष नहीं कर पाउँगा ,
संतोष का पौधा पेड़ बन चुका है , उसकी छाओं के बिना ज़िंदा नहीं रह पाउँगा ।
बोला बेटा आपसे ही मेरा जीवन है आपके बिना एक कदम न चल पाउँगा,