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Below information is not available in google in Hindi language , Even in English language only 10% information is available.
Please enjoy the fact about earthquake in HINDI...
"क्या आप जानते हैं की कितने टाइप के स्केल होते हैं जिनसे भूकम्प का आंकलन किया जाता है ??
कुछ ऐसे फैक्ट्स है जिन्हें जानकर न सिर्फ आप का नॉलेज बढ़ेगा बल्कि भूकम्प के मापन को लेकर जो गलत अवधारणायें हैं वो भी दूर हो जाएंगी , आपको ये भी पता चलेगा की मध्य प्रदेश (जबलपुर) में जो भूकम्प आया था उसकी तीव्रता कितनी ज्यादा थी और वो मापन की किस श्रेणी मे आता है |
लगभग सभी लोग ये मानते हैं की रिक्टर स्केल से भूकम्प की तीव्रता मापी जाती है जबकि आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की रिक्टर स्केल ऊर्जा को मापता है न की तीव्रता को , वो भी सिर्फ कम तीव्रता वाले भूकम्प को ही रिक्टर स्केल से मापा जा सकता है |
यह ऊर्जा विध्वंशकारी होती है जो की साईंज़मिक (Seismic) वेव्स की वजह से उत्पन्न होती है , यूँ तो साइज़्मिक वेव्स कई प्रकार की होती हैं ,पर इसके प्रमुख प्रकार बॉडी वेव्स और सरफेस वेव्स हैं ,ये वेव्स धरती के अंदर चट्टानों के अचानक टूटने या किसी विस्फोट की वजह से उत्पन्न होती हैं , जब ये ऊर्जा रिक्टर स्केल में 5 से ऊपर की होती है तो रिक्टर स्केल इसे मापने में सक्षम नहीं होता , इसी कारण से बड़ी ऊर्जा मापने के लिए --->
सन 1979 एक नए स्केल का अविष्कार हुआ जिसे हम MMS स्केल के नाम से जानते जिसका फुल फॉर्म है Moment Magnitude Scale मूमेंट मैग्नीट्ूड स्केल ,जो रिक्टर स्केल की तरह ही बड़ी ऊर्जा मापने में उपयोग होता होता है |
अब उस स्केल की बात करेंगे जो उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना की रिक्टर और MMS scale हैं,
इस तीसरे स्केल का नाम है Mercalli मर्केली स्केल यह दुनिया में मात्र एक ऐसा स्केल है जिससे भूकम्प कि तीव्रता और प्रभाव को मापा जाता है , इसके 12 लेवल होते हैं , ये लेवल MMS स्केल के साथ बढ़ते जाते हैं , नीच दिए विवरण मे MMS स्केल और मर्केली स्केल कि तुलना कि गयी है |
Magnitude Mercalli intensity
Under 2.0 I
2.0 – 2.9 II – III
3.0 – 3.9 III – IV
4.0 – 4.9 IV – V
5.0 – 5.9 V – VI
6.0 – 6.9 VI – VII जबलपुर इसी श्रेणी मे आता है
7.0 – 7.9 VII – VIII
8.0 or higher VIII or higher
अब छोटा सा विवरण उन महान वैज्ञानिको का जिनका योगदान इन स्केल्स को बनाने में रहा है |
1.Richter Scale -1935 चार्ल्स रिक्टर जो की भूकम्प मापन के पिता माने जाते हैं
2. Moment Magnitude Scale -1979 भूकम्प विज्ञानी थॉमस सी हैंक्स और हीरू कानमोरी
3 Mercalli–Cancani–Sieberg Scale - 1931 यह 3 भूकम्प विज्ञानिकों ने बनाया था पर नाम मर्केली का प्रमुख है ,जिन्होंने इसका प्रारम्भ 1902 मे किया था
अब सबसे महत्त्वपूर्ण चर्चा उस हादसे की जो 22 -May -1997 को मध्य प्रदेश (जबलपुर) मे हुआ था |
जबलपुर के भूकम्प को बताया गया था की ये 6 रिक्टर का था जबकि इसका मापन रिक्टर स्केल में नहीं MMS स्केल में किया गया था और इसका magnitude 6 का था , जबकि इसकी तीव्रता मर्केली स्केल मे VI – VII रेंज की थी |
आप समझ सकते हैं की ये कोई छोटा भूकम्प नहीं था , इस तरह के भूकम्प पूरी दुनिया में 100 से 150 हर साल आते हैं |
यदि एनर्जी की बात करें तो तो जबलपुर के भूकम्प मे 63 Terajoule की ऊर्जा थी |
अब मे आपको वो बात बताऊंगा जो शायद ही किसी की जानकारी मे हो :-
लिटिल बॉय नाम का एक परमाणु बम (nuclear weapon ) था जिसे जापान की सिटी हिरोशिमा में August 6, 1945 को Boeing B-29 से गिराया गया था , इस विस्फोट में जो ऊर्जा निकली थी वो भी जबलपुर में आने वाले भूकम्प के बराबर ही थी, जिसका मान भी 63 Terajoule ही था |
मध्य प्रदेश (जबलपुर) में कोसम घाट इस भूकम्प का केंद्र था जिसमे पहले बॉडी वेव्स निकली थी जो बाद में सरफेस वेव्स में कन्वर्ट हो गयी थीं |
इस हादसे में जबलपुर और मंडला बुरी तरह से प्रभावित जिले थे जबकि कुल 887 गांव प्रभावित हुए थे ,लगभग 8546 मकान ध्वस्त हो गए थे और लगभग 52,690 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे। मरने वालों की संख्या 39 और घायलों की 350 थी | "
भूकम्प की तीव्रता इस बात पर निर्भर करती है की उसका प्रभाव कितनी दूर दूर तक था , उसकी वेव्स को लोगों ने किस हद तक महसूस किया और इससे कितनी इमारतों को हानि पंहुची और किंतने माकन ध्वस्त हो गए , और सबसे महत्त्वपूर्ण की कितनी जनहानि हुई ..
यदि कम शब्दों मे कहना है तो ये कहना उत्तम है की भूकम जितना ज्यादा विध्वंशकारी होगा उतनी ही ज्यादा उसकी तीव्रता होगी
ऐसे तो जिस भूकम्प की ऊर्जा जितनी ज्यादा होती उसकी तीव्रता भी उतनी ही ज्यादा होती है , पर हो सकता है रिक्टर पैमाने पर किसी भूकम की ऊर्जा ज्यादा हो पर उसकी तीव्रता कम हो और ये भी हो सकता की किसी भूकम्प मे ऊर्जा कम हो पर उसकी तीव्रता ज्यादा हो , हांलाकि ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं और पर इसकी चर्चा करना इसीलिए जरूरी है क्योकि इसके उदाहरण कम है और इसकी जानकारी बहुत कम लोगो को है ..
आइये अब ये जानते है की ऐसा क्यों होता है
भूकम्प की तीव्रता इन फैक्टर्स पर सबसे ज्यादा निर्भर करती है
1.. ऊर्जा
2.. Hypocenter
3.. Epicentre
4... वेव्स
5.. पृथ्वी की परत (crust) की मजबूती
1.ऊर्जा जतनी अधिक होगी तीव्रता उतनी ही अधिक होगी
2. Hypocenter जमीन के अंदर एक ऐसा पॉइंट होता है जो ऊर्जा का केंद्र होता है , और यहीं से सबसे पहले ऊर्जा निकलती है , ये जितना नीचे होगा तीव्रता उतनी कम होगी और जितना ऊपर होगा तीव्रता उतनी ही जयदा होगी , यही वो फैक्टर है जो सबसे ज्यादा जरूरी है जिससे कभी कभी ऊर्जा ज्यादा होने पर भी तीव्रता कम और ऊर्जा कम होने पर भी तीव्रता ज्यादा हो सकती , जबलपुर और लातूर के भूकम्प इसके सबसे अच्छे उदाहरण है
अब तुलना करते है जबलपुर और लातूर की , दोनों के magnitude में सिर्फ 0.2 का अंतर था पर लातूर की तीव्रता जबलपुर से कही ज्यादा दे क्योकि लातूर में हाइपो सेंटर सिर्फ 12 किलो मीटर था जबकि जबलपुर में 35 किलो मीटर
जबलपुर
Date May 22, 1997
Magnitude 6.0 Mw
Depth 35 kilometres (22 mi) ये इसका हाइपो सेंटर था
Areas affected India
Casualties 39 dead
तीव्रता मर्कली स्केल : VI
लातूर
Date 30 September 1993
Magnitude 6.2 Mw
Depth 12 km (7.5 mi) ये इसका हाइपो सेंटर था
Areas affected India
Casualties 9,748 dead
तीव्रता मर्कली स्केल : VIII
3. Epicentre एक काल्पनिक बिंदु है जो ठीक Hypocentre के ऊपर होता है इसका उपयोग नक़्शे में भूकम्प दिखाने के लिए होता है
4. अब एक और सबसे महत्त्वपूर्ण फैक्टर है वेव्स ,
वेव्स वैसे तो ये कई प्रकार की होती है पर इसके मुख्य प्रकार बॉडी वेव्स और सरफेस वेव्स हैं
ऊर्जा इन्ही वेव्स के जरिये बाहर निकलती हैं , सरफेस वेव्स सबसे खरनाक होती हैं जो की विध्वंश का कारन बनती हैं , बॉडी वेव्स ही सतह पर आकर सरफेस वेव्स मे कन्वर्ट हो जाती हैं |
जब नेपाल मे भूकम्प आया तो ऐसा क्यों हुआ की बस कुछ ही मिनटों मे इंडिया तक मे उसके झटके महसूस किये गए , इसका कारण है इन वेव्स की जबदस्त स्पीड ....
हवा में 330 मीटर /सेकंड , पानी मे 1450 मीटर /सेकंड और धरातल(ग्रेनाइट(चट्टान )) में 5000 मीटर /सेकंड
चट्टानों में इसकी गति बहुत ज्यादा होती है जमीन के अंदर ये वेव्स 4–8 km/sec (14,000–28,000 किलो मीटर /घंटे ) की रफ़्तार से चलती है और सरफेस पर ये इनकी स्पीड कुछ कम होती है पर ये वही वेव्स होती हैं जो कन्वर्ट होकर सतह पर आ जाती हैं और सरफेस वेव्स के नाम पर जानी जाती हैं और तबाही मचाती हैं
5. पृथ्वी की परत (crust) की मजबूती , यह भी एक मुख्य कारन है जमीन पर तो ये भूकम्प किसी तरह रुक जाते हैं पर समुद्र मे ये सुनामी के नाम से जाने जाते हैं और सोच से कही ज्यादा तबाही मचाते है जैसे की Indian Ocean earthquake ,26 December 2004 को आया ये भूकम्प दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकम्प था जिसका magnitude 9.1–9.3 था ,हलाकि इससे बड़े भूकम्प भी आये पर इसकी समुद्री सतह होने की वजह से इसकी तीव्रता सबसे ज्यादा थी लगभग मर्कली स्केल मे X की ,ये हिरोशिमा पर गिराये गए लिटिल बॉय बम से 1500 गुना ज्यादा थी
Date 26 December 2004
Origin time 00:58 UTC
Magnitude 9.1 Mw
Depth 30 km (19 mi) ये इसका हाइपो सेंटर था
Areas affected Indonesia (mainly in Aceh)
Sri Lanka
India (mostly in Tamil Nadu)
Thailand
Maldives
Somalia
Tsunami Yes
Casualties At least 228,000 to 230,000 dead and more missing
अब बात करते हैं हाल ही मे आये नेपाल के भूकम्प की ...
April 2015 Nepal earthquake को पूरे वर्ल्ड में गोरखा भूकम्प के नाम से भी जाना जाता है , इसमें तकरीबन 8000 लोग मर गए थे जबकि 19000 से जयादा घायल हुए थे , यह नेपाल के स्टैंडर्ड टाइम के हिसाब से 11:56 NST को 25 अप्रैल के दिन आया थे जिसका magnitude 7.8Mw था , क्योंकि कि ये हाल ही मे आया भूकम्प था तो इसके बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए में यह भी बताना चाहूंगा कि एक प्रकार का और स्केल होता है ,जिससे सरफेस वेव्स कि तीव्रता मापी जाती है ,जिसे Surface wave magnitude (Ms) scale कहते हैं और इसका मान इस स्केल पर 8.1Ms था जो कि इतना ज्यादा था कि इसकी तीव्रता Mercalli स्केल पर VIII (Severe). मापी गयी ,
Mercalli स्केल में इसका इतना ज्यादा व्यापक रूप इसीलिए था क्योंकि इसका एक और सबसे बड़ा फैक्टर था इसका hypocenter जो कि सिर्फ 15 किलोमीटर ही नीचे था जिसकी वजह से सरफेस वेव्स बहुत ज्यादा थीं ,
जब पूरी ऊर्जा एक साथ नहीं निकल पाती तो बहुत सारे झटके बाद में महसूस किये जाते हैं जिन्हें आफ्टर शॉक कहते हैं , नेपाल के भूकम्प के बाद इतिहास में यह उन भूकम्प कि लिस्ट में है जिसके बाद सबसे ज्यादा आफ्टरशॉक आये थे ..
आइये इसका सारांश देखें
Date 25 April 2015
Origin time 11:56:26 NST
Magnitude 7.8Mw or 8.1 Ms
Depth 15.0 km (9.3 mi)
Areas affected
Nepal
India
China
Bangladesh
Max. intensity VIII (Severe)
Aftershocks 7.3Mw on 12 May at 12:51
6.7Mw on 26 April at 12:54
No. of aftershocks = 265 (as of 25 May 2015)
Casualties
8,635 dead (officially)
19,009 injured (officially)
Article End: Abhishek Yadav Malaysia
Below information is not available in google in Hindi language , Even in English language only 10% information is available.
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"क्या आप जानते हैं की कितने टाइप के स्केल होते हैं जिनसे भूकम्प का आंकलन किया जाता है ??
कुछ ऐसे फैक्ट्स है जिन्हें जानकर न सिर्फ आप का नॉलेज बढ़ेगा बल्कि भूकम्प के मापन को लेकर जो गलत अवधारणायें हैं वो भी दूर हो जाएंगी , आपको ये भी पता चलेगा की मध्य प्रदेश (जबलपुर) में जो भूकम्प आया था उसकी तीव्रता कितनी ज्यादा थी और वो मापन की किस श्रेणी मे आता है |
लगभग सभी लोग ये मानते हैं की रिक्टर स्केल से भूकम्प की तीव्रता मापी जाती है जबकि आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की रिक्टर स्केल ऊर्जा को मापता है न की तीव्रता को , वो भी सिर्फ कम तीव्रता वाले भूकम्प को ही रिक्टर स्केल से मापा जा सकता है |
यह ऊर्जा विध्वंशकारी होती है जो की साईंज़मिक (Seismic) वेव्स की वजह से उत्पन्न होती है , यूँ तो साइज़्मिक वेव्स कई प्रकार की होती हैं ,पर इसके प्रमुख प्रकार बॉडी वेव्स और सरफेस वेव्स हैं ,ये वेव्स धरती के अंदर चट्टानों के अचानक टूटने या किसी विस्फोट की वजह से उत्पन्न होती हैं , जब ये ऊर्जा रिक्टर स्केल में 5 से ऊपर की होती है तो रिक्टर स्केल इसे मापने में सक्षम नहीं होता , इसी कारण से बड़ी ऊर्जा मापने के लिए --->
सन 1979 एक नए स्केल का अविष्कार हुआ जिसे हम MMS स्केल के नाम से जानते जिसका फुल फॉर्म है Moment Magnitude Scale मूमेंट मैग्नीट्ूड स्केल ,जो रिक्टर स्केल की तरह ही बड़ी ऊर्जा मापने में उपयोग होता होता है |
अब उस स्केल की बात करेंगे जो उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना की रिक्टर और MMS scale हैं,
इस तीसरे स्केल का नाम है Mercalli मर्केली स्केल यह दुनिया में मात्र एक ऐसा स्केल है जिससे भूकम्प कि तीव्रता और प्रभाव को मापा जाता है , इसके 12 लेवल होते हैं , ये लेवल MMS स्केल के साथ बढ़ते जाते हैं , नीच दिए विवरण मे MMS स्केल और मर्केली स्केल कि तुलना कि गयी है |
Magnitude Mercalli intensity
Under 2.0 I
2.0 – 2.9 II – III
3.0 – 3.9 III – IV
4.0 – 4.9 IV – V
5.0 – 5.9 V – VI
6.0 – 6.9 VI – VII जबलपुर इसी श्रेणी मे आता है
7.0 – 7.9 VII – VIII
8.0 or higher VIII or higher
अब छोटा सा विवरण उन महान वैज्ञानिको का जिनका योगदान इन स्केल्स को बनाने में रहा है |
1.Richter Scale -1935 चार्ल्स रिक्टर जो की भूकम्प मापन के पिता माने जाते हैं
2. Moment Magnitude Scale -1979 भूकम्प विज्ञानी थॉमस सी हैंक्स और हीरू कानमोरी
3 Mercalli–Cancani–Sieberg Scale - 1931 यह 3 भूकम्प विज्ञानिकों ने बनाया था पर नाम मर्केली का प्रमुख है ,जिन्होंने इसका प्रारम्भ 1902 मे किया था
अब सबसे महत्त्वपूर्ण चर्चा उस हादसे की जो 22 -May -1997 को मध्य प्रदेश (जबलपुर) मे हुआ था |
जबलपुर के भूकम्प को बताया गया था की ये 6 रिक्टर का था जबकि इसका मापन रिक्टर स्केल में नहीं MMS स्केल में किया गया था और इसका magnitude 6 का था , जबकि इसकी तीव्रता मर्केली स्केल मे VI – VII रेंज की थी |
आप समझ सकते हैं की ये कोई छोटा भूकम्प नहीं था , इस तरह के भूकम्प पूरी दुनिया में 100 से 150 हर साल आते हैं |
यदि एनर्जी की बात करें तो तो जबलपुर के भूकम्प मे 63 Terajoule की ऊर्जा थी |
अब मे आपको वो बात बताऊंगा जो शायद ही किसी की जानकारी मे हो :-
लिटिल बॉय नाम का एक परमाणु बम (nuclear weapon ) था जिसे जापान की सिटी हिरोशिमा में August 6, 1945 को Boeing B-29 से गिराया गया था , इस विस्फोट में जो ऊर्जा निकली थी वो भी जबलपुर में आने वाले भूकम्प के बराबर ही थी, जिसका मान भी 63 Terajoule ही था |
मध्य प्रदेश (जबलपुर) में कोसम घाट इस भूकम्प का केंद्र था जिसमे पहले बॉडी वेव्स निकली थी जो बाद में सरफेस वेव्स में कन्वर्ट हो गयी थीं |
इस हादसे में जबलपुर और मंडला बुरी तरह से प्रभावित जिले थे जबकि कुल 887 गांव प्रभावित हुए थे ,लगभग 8546 मकान ध्वस्त हो गए थे और लगभग 52,690 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे। मरने वालों की संख्या 39 और घायलों की 350 थी | "
भूकम्प की तीव्रता इस बात पर निर्भर करती है की उसका प्रभाव कितनी दूर दूर तक था , उसकी वेव्स को लोगों ने किस हद तक महसूस किया और इससे कितनी इमारतों को हानि पंहुची और किंतने माकन ध्वस्त हो गए , और सबसे महत्त्वपूर्ण की कितनी जनहानि हुई ..
यदि कम शब्दों मे कहना है तो ये कहना उत्तम है की भूकम जितना ज्यादा विध्वंशकारी होगा उतनी ही ज्यादा उसकी तीव्रता होगी
ऐसे तो जिस भूकम्प की ऊर्जा जितनी ज्यादा होती उसकी तीव्रता भी उतनी ही ज्यादा होती है , पर हो सकता है रिक्टर पैमाने पर किसी भूकम की ऊर्जा ज्यादा हो पर उसकी तीव्रता कम हो और ये भी हो सकता की किसी भूकम्प मे ऊर्जा कम हो पर उसकी तीव्रता ज्यादा हो , हांलाकि ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं और पर इसकी चर्चा करना इसीलिए जरूरी है क्योकि इसके उदाहरण कम है और इसकी जानकारी बहुत कम लोगो को है ..
आइये अब ये जानते है की ऐसा क्यों होता है
भूकम्प की तीव्रता इन फैक्टर्स पर सबसे ज्यादा निर्भर करती है
1.. ऊर्जा
2.. Hypocenter
3.. Epicentre
4... वेव्स
5.. पृथ्वी की परत (crust) की मजबूती
1.ऊर्जा जतनी अधिक होगी तीव्रता उतनी ही अधिक होगी
2. Hypocenter जमीन के अंदर एक ऐसा पॉइंट होता है जो ऊर्जा का केंद्र होता है , और यहीं से सबसे पहले ऊर्जा निकलती है , ये जितना नीचे होगा तीव्रता उतनी कम होगी और जितना ऊपर होगा तीव्रता उतनी ही जयदा होगी , यही वो फैक्टर है जो सबसे ज्यादा जरूरी है जिससे कभी कभी ऊर्जा ज्यादा होने पर भी तीव्रता कम और ऊर्जा कम होने पर भी तीव्रता ज्यादा हो सकती , जबलपुर और लातूर के भूकम्प इसके सबसे अच्छे उदाहरण है
अब तुलना करते है जबलपुर और लातूर की , दोनों के magnitude में सिर्फ 0.2 का अंतर था पर लातूर की तीव्रता जबलपुर से कही ज्यादा दे क्योकि लातूर में हाइपो सेंटर सिर्फ 12 किलो मीटर था जबकि जबलपुर में 35 किलो मीटर
जबलपुर
Date May 22, 1997
Magnitude 6.0 Mw
Depth 35 kilometres (22 mi) ये इसका हाइपो सेंटर था
Areas affected India
Casualties 39 dead
तीव्रता मर्कली स्केल : VI
लातूर
Date 30 September 1993
Magnitude 6.2 Mw
Depth 12 km (7.5 mi) ये इसका हाइपो सेंटर था
Areas affected India
Casualties 9,748 dead
तीव्रता मर्कली स्केल : VIII
3. Epicentre एक काल्पनिक बिंदु है जो ठीक Hypocentre के ऊपर होता है इसका उपयोग नक़्शे में भूकम्प दिखाने के लिए होता है
4. अब एक और सबसे महत्त्वपूर्ण फैक्टर है वेव्स ,
वेव्स वैसे तो ये कई प्रकार की होती है पर इसके मुख्य प्रकार बॉडी वेव्स और सरफेस वेव्स हैं
ऊर्जा इन्ही वेव्स के जरिये बाहर निकलती हैं , सरफेस वेव्स सबसे खरनाक होती हैं जो की विध्वंश का कारन बनती हैं , बॉडी वेव्स ही सतह पर आकर सरफेस वेव्स मे कन्वर्ट हो जाती हैं |
जब नेपाल मे भूकम्प आया तो ऐसा क्यों हुआ की बस कुछ ही मिनटों मे इंडिया तक मे उसके झटके महसूस किये गए , इसका कारण है इन वेव्स की जबदस्त स्पीड ....
हवा में 330 मीटर /सेकंड , पानी मे 1450 मीटर /सेकंड और धरातल(ग्रेनाइट(चट्टान )) में 5000 मीटर /सेकंड
चट्टानों में इसकी गति बहुत ज्यादा होती है जमीन के अंदर ये वेव्स 4–8 km/sec (14,000–28,000 किलो मीटर /घंटे ) की रफ़्तार से चलती है और सरफेस पर ये इनकी स्पीड कुछ कम होती है पर ये वही वेव्स होती हैं जो कन्वर्ट होकर सतह पर आ जाती हैं और सरफेस वेव्स के नाम पर जानी जाती हैं और तबाही मचाती हैं
5. पृथ्वी की परत (crust) की मजबूती , यह भी एक मुख्य कारन है जमीन पर तो ये भूकम्प किसी तरह रुक जाते हैं पर समुद्र मे ये सुनामी के नाम से जाने जाते हैं और सोच से कही ज्यादा तबाही मचाते है जैसे की Indian Ocean earthquake ,26 December 2004 को आया ये भूकम्प दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकम्प था जिसका magnitude 9.1–9.3 था ,हलाकि इससे बड़े भूकम्प भी आये पर इसकी समुद्री सतह होने की वजह से इसकी तीव्रता सबसे ज्यादा थी लगभग मर्कली स्केल मे X की ,ये हिरोशिमा पर गिराये गए लिटिल बॉय बम से 1500 गुना ज्यादा थी
Date 26 December 2004
Origin time 00:58 UTC
Magnitude 9.1 Mw
Depth 30 km (19 mi) ये इसका हाइपो सेंटर था
Areas affected Indonesia (mainly in Aceh)
Sri Lanka
India (mostly in Tamil Nadu)
Thailand
Maldives
Somalia
Tsunami Yes
Casualties At least 228,000 to 230,000 dead and more missing
अब बात करते हैं हाल ही मे आये नेपाल के भूकम्प की ...
April 2015 Nepal earthquake को पूरे वर्ल्ड में गोरखा भूकम्प के नाम से भी जाना जाता है , इसमें तकरीबन 8000 लोग मर गए थे जबकि 19000 से जयादा घायल हुए थे , यह नेपाल के स्टैंडर्ड टाइम के हिसाब से 11:56 NST को 25 अप्रैल के दिन आया थे जिसका magnitude 7.8Mw था , क्योंकि कि ये हाल ही मे आया भूकम्प था तो इसके बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए में यह भी बताना चाहूंगा कि एक प्रकार का और स्केल होता है ,जिससे सरफेस वेव्स कि तीव्रता मापी जाती है ,जिसे Surface wave magnitude (Ms) scale कहते हैं और इसका मान इस स्केल पर 8.1Ms था जो कि इतना ज्यादा था कि इसकी तीव्रता Mercalli स्केल पर VIII (Severe). मापी गयी ,
Mercalli स्केल में इसका इतना ज्यादा व्यापक रूप इसीलिए था क्योंकि इसका एक और सबसे बड़ा फैक्टर था इसका hypocenter जो कि सिर्फ 15 किलोमीटर ही नीचे था जिसकी वजह से सरफेस वेव्स बहुत ज्यादा थीं ,
जब पूरी ऊर्जा एक साथ नहीं निकल पाती तो बहुत सारे झटके बाद में महसूस किये जाते हैं जिन्हें आफ्टर शॉक कहते हैं , नेपाल के भूकम्प के बाद इतिहास में यह उन भूकम्प कि लिस्ट में है जिसके बाद सबसे ज्यादा आफ्टरशॉक आये थे ..
आइये इसका सारांश देखें
Date 25 April 2015
Origin time 11:56:26 NST
Magnitude 7.8Mw or 8.1 Ms
Depth 15.0 km (9.3 mi)
Areas affected
Nepal
India
China
Bangladesh
Max. intensity VIII (Severe)
Aftershocks 7.3Mw on 12 May at 12:51
6.7Mw on 26 April at 12:54
No. of aftershocks = 265 (as of 25 May 2015)
Casualties
8,635 dead (officially)
19,009 injured (officially)
Article End: Abhishek Yadav Malaysia